ईमानदारी का फल । fruit of honesty

ईमानदारी का फल

दो व्यक्ति एक साथ रहते थे। पहले व्यक्ति का नाम रमन था दूसरे व्यक्ति का नाम अमन था। दोनों व्यक्ति मजदूरी का काम करते थे। रमन एक अच्छा व्यक्ति था। वह अपना काम हमेशा ईमानदारी से करता था। जबकि अमन एक चालाक व्यक्ति था। एक दिन जब अमन काम करके अपने घर आ रहा था। तभी उसकी नजर एक पर्स पर पड़ा जिस व्यक्ति का पर्स गिरा हुआ था। वह व्यक्ति वही पर था। लेकिन उसे नहीं मालूम था। कि उसका पर्स नीचे गिर गया है। अमन उसी स्थान पर रुक जाता है। और उस व्यक्ति का जाने का इंतजार करता है। जैसे ही वह व्यक्ति वहां से जाता है। अमन उस स्थान पर जाता है। और पर्स उठा देता है। अमन पर्स लेकर अपने घर आता है। उस पर्स में बहुत सारा पैसा था। रमन पूछता है, अमन तुम्हें इतने सारे पैसे किसने दिया। अमन बोलता है मुझे यह पैसा किसी ने दिया नहीं है। बल्कि एक व्यक्ति का पर्स गिर गया था। मैंने वह पर्स चुपके से उठा लिया।
ईमानदारी का फल । fruit of honesty
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रमन बोलता है। तुम्हें यह पर्स उस व्यक्ति को दे देनी चाहिए। अमन बोलता है, ईमानदारी का जमाना गया दोनों रात का खाना खा कर सो जाते हैं। अगले दिन रमन सुबह जल्दी उठता है। और नाश्ता करके अपने काम पर जा रहा था। रमन अमन को बोलता है। जल्दी चलो काम पर वरना लेट हो जाएगा। अमन बोलता है। मैं 1 महीनों तक काम पर नहीं जाऊंगा। रमन पूछता है तुम काम पर क्यों नहीं जाओगे अमन बोलता है। मेरे पास इतने पैसे हैं कि मैं उस पैसों से एक महीना तक आराम से खा पी के रह सकता हूं। जब मेरे पास पैसे खत्म हो जाएगा। तब मैं काम पर जाऊंगा रमन बोलता है। जैसी तुम्हारी मर्जी रमन अपना काम ईमानदारी से करता था। 1 दिन रमन जब काम करके अपना घर आ रहा था। तभी उसे रास्ते में एक पर्स मिलता है। उस पर्स मैं बहुत सारा पैसा रहता है। रमन सोचता है, यह पर्स जिसका भी होगा वह बहुत परेशान होगा। उसने बहुत मेहनत से यह पैसा कमाया होगा। 


रमन उस पर्स को अच्छे से चेक करता है। जिससे पता चले यह पर्स किसका है। उस पर्स से एक आईडी कार्ड मिलता है। उस आईडी कार्ड पर उस व्यक्ति का पता लिखा रहता है। रमन उस पता पर पहुंच जाता है। उस व्यक्ति का घर बहुत बड़ा था। और घर के सामने सिक्योरिटी गार्ड था। रमन उस सिक्योरिटी गार्ड को बोलता है। आपके मालिक का पर्स रास्ते में गिर गया था। मैं उन्हें पर्स वापस करने आया हूं। सिक्योरिटी गार्ड अपने मालिक को फोन लगाता है। और बोलता है, कोई आपका पर्स वापस करने आया है। उसका मालिक बोलता है। ठीक है, वह व्यक्ति को अंदर भेज दो रमन घर के अंदर जाता है। और उस व्यक्ति को पर्स दे देता है। वह व्यक्ति बोलता है। तुम चाहते तो यह पर्स रख सकते थे। लेकिन तुमने यह पर्स वापस क्यों कर दिया। रमन बोलता है। इस पैसों पर मेरा हक नहीं था। वह व्यक्ति पूछता है। तुम क्या करते हो रमन बोलता है। मैं मजदूरी का काम करता हूं। वह व्यक्ति बोलता है। क्या तुम मेरे साथ काम करोगे रमन काम करने के लिए तैयार हो जाता है। वह व्यक्ति बोलता है। कल से तुम्हें इसी घर में रहना होगा। रमन बोलता है मेरे घर में कुछ सामान होगा।


उसे ले कर आना होगा वह व्यक्ति बोलता है तुम चिंता मत करो मैं तुम्हें अपनी कार से कल लेने आऊंगा। अगले दिन वह व्यक्ति रमन के घर आता है। अमन जब उस व्यक्ति को देखता है। तो वह चौक जाता है। क्योंकि अमन उसी व्यक्ति का पर्स चुपके से उठाया था। अमन उस पैसों को खा पी के उड़ा दिया। जबकि रमन को जो पर्स मिला वह वापस उस व्यक्ति को दे दिया। रमन कार में बैठकर चला जाता है और उसे एक अच्छा जॉब मिल जाता है।






Title: पिता का प्यार । Moral Story


एक किसान बहुत मुश्किलों का सामना करके अपने जीवन का गुजारा कर रहा था। उसकी पत्नी भी अपने पति के काम में मदद करती थी। उन दोनों का एक 5 साल का एक बेटा था। दोनों चाहते थे उनका बेटा पढ़ लिख कर एक अच्छा आदमी बने जिन मुश्किलों का सामना हम कर रहे हैं। उन मुश्किलों का सामना उनके बेटा को ना करना पड़े किसान का बेटा गांव के स्कूल में पढ़ता था। गांव के स्कूल में 10th क्लास तक पढ़ाई होती थी। किसान का बेटा 10th क्लास पास कर गया था। किसान चाहता था उसका बेटा अपना पढ़ाई जारी रखें इसलिए वह किसान ने अपने बेटे को पढ़ने के लिए बड़ा शहर भेज दिया किसान को अपने बेटा को पढ़ाने में बहुत खर्चा हो रहा था। लेकिन वह किसान हार नहीं मानता है। किसान का मेहनत रंग लाता है। कुछ वर्षों बाद उसके बेटे को एक अच्छी नौकरी मिल जाता है। जब किसान को पता चलता है उसके बेटे को नौकरी मिल गया है। तो वह बहुत खुश होता है।
पिता का प्यार । Moral Story
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किसान का बेटा फोन करके अपने माता-पिता को अपने पास बुलाता है। किसान और उसकी पत्नी अपने बेटे के पास जाते हैं। और वहां पर एक लड़की रहती है । किसान अपने बेटे से पूछता है। यह लड़की कौन है। किसान का बेटा बोलता है। यह आपकी बहू है, किसान बोलता है। बेटा तुमने शादी भी कर लिया और हमें बताया भी नहीं किसान का बेटा बोलता है। पिताजी यह सब बात छोड़िए अब बोलने से कोई फायदा नहीं यह लड़की मेरी पत्नी है। अब से आप दोनों को हमारे साथ ही रहना है। किसान और उसकी पत्नी अपने बेटे के साथ ही रहने लगी 1 दिन किसान के बेटा ने बोला पिताजी आप गांव में घर और जमीन सब बेच दीजिए। क्योंकि हम लोग एक नया घर लेने वाले हैं। किसान अपना घर और जमीन बेच देता है। और जो पैसा मिलता है। वह अपने बेटे को दे देता है। किसान का बेटा एक बड़ा घर खरीद लेता है। कुछ दिनों बाद उनकी बहू दोनों को बहुत परेशान करने लगी एक दिन किसान की बहू अपने पति को बोलती है। तुम अपने माता-पिता को इस घर से निकाल दो किसान का बेटा बोलता है। वह दोनों इस उम्र में कहां जाएंगे।


उसकी पत्नी बोलती है। तुम अपने माता पिता को वृद्धा आश्रम में पहुंचा दो किसान का बेटा अगले दिन अपने माता पिता को वृद्धा आश्रम लेकर जाता है। वृद्धा आश्रम में छोड़कर जब किसान का बेटा जा रहा था। तभी उसने देखा उसके माता-पिता से वृद्धा आश्रम का मालिक बहुत अच्छी तरह से बात कर रहा है। किसान का बेटा को कुछ समझ में नहीं आ रहा था। तब उसने वृद्धा आश्रम के मालिक से पूछा क्या आप मेरे माता-पिता को पहले से जानते हैं। वृद्धा आश्रम का मालिक बोलता है। हां मैं दोनों को जानता हूं। किसान का बेटा पूछता है। कैसे वृद्धा आश्रम का मालिक बोलता है। 25 वर्ष पहले यह दोनों ने एक बच्चा को गोद लिया था। इनका अपना कोई संतान नहीं है। किसान का बेटा सब कुछ समझ जाता है। और अपने माता-पिता से माफी मांगता है। और अपने साथ घर वापस ले कर चला जाता है।






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