मां से बढ़कर कुछ नहीं होता

💔 जब भूख से बड़ी हो जाए इंसानियत – एक दोस्त की सच्ची पहचान


राज की मां की अचानक तबीयत खराब हो जाती है। घबराया हुआ राज तुरंत डॉक्टर को घर लेकर आता है। डॉक्टर राज की मां की जांच करते हैं और कहते हैं,

मां से बढ़कर कुछ नहीं होता
मां से बढ़कर कुछ नहीं होता


> "तुम्हारी मां को वायरल फीवर हो गया है। मैं दवा लिख देता हूं। ध्यान रखना, दवा समय पर देना।"



डॉक्टर पर्ची राज को देते हैं और चले जाते हैं। राज पर्ची लेकर मेडिकल शॉप पर पहुंचता है। मेडिकल वाला दवा देखकर उसे ₹700 का बिल थमा देता है। यह सुनते ही राज के चेहरे का रंग उड़ जाता है, क्योंकि उसके पास केवल ₹200 ही थे।


राज झिझकते हुए कहता है,


> "भाई, मैं एक कॉल करके आता हूं..."


वह अपने दोस्त मनोज को कॉल करता है –


> "भाई, मां की तबीयत अचानक खराब हो गई है। दवा लेने आया हूं, लेकिन ₹500 कम हैं। क्या तुम मदद कर सकते हो?"


मनोज जवाब देता है,


> "भाई, माफ करना। कल ही मेरी किश्त कट गई है, मेरे पास पैसे नहीं हैं।"


राज निराश होता है, लेकिन हार नहीं मानता। वह एक और दोस्त मुकेश को कॉल करता है और वही बात दोहराता है। मुकेश भी मना कर देता है।

इस तरह राज 10 दोस्तों को फोन करता है, लेकिन कोई मदद नहीं करता।


निराश और उदास राज, बिना दवा लिए घर लौटने लगता है। रास्ते में उसे एक पुराना दोस्त महेश मिल जाता है।


महेश पूछता है,


> "राज भाई, कहां जा रहे हो? इतने उदास क्यों लग रहे हो?"


राज धीरे से जवाब देता है,


> "भाई, मां की तबीयत खराब है। दवा लानी थी, लेकिन पैसे पूरे नहीं हैं। किसी भी दोस्त ने मदद नहीं की।"


महेश बिना कुछ कहे मुस्कुराता है और कहता है,


> "चलो, मेरे साथ बाइक पर बैठो।"


महेश उसे मेडिकल शॉप पर लेकर जाता है और डॉक्टर की पर्ची मांगता है। राज पर्ची देता है, महेश उसे मेडिकल वाले को देता है और कहता है,


> "भाई, जल्दी दवा दो।"


मेडिकल वाला दवा देता है और कहता है, "₹700 हुए।"

महेश बिना झिझक के कहता है,


> "मैं ऑनलाइन पेमेंट कर देता हूं।"


राज बोलता है,


> "भाई, मेरे पास ₹200 हैं, मैं दे देता हूं।"


महेश मुस्कुरा कर कहता है,


> "भाई, ₹200 अपनी मां के लिए फल ले लेना। दवा मैं दिला देता हूं।"


महेश ₹700 की पेमेंट कर देता है और राज को बाइक से उसके घर छोड़ आता है।


राज की आंखें नम हो जाती हैं। वह महेश को गले लगाते हुए कहता है,


> "मैंने बहुतों से मदद मांगी, लेकिन किसी ने नहीं दी। तुमने बिना मांगे ही मदद कर दी।"


महेश की आंखों में भी भावुकता तैर रही थी। उसने बस एक ही बात कही:


> "मां से बढ़कर इस धरती पर कुछ भी नहीं है – चाहे वो तुम्हारी हो या मेरी… मां तो मां होती है।"

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✨ कहानी से सीख:

सच्चा दोस्त वही होता है जो बिना कहे आपके साथ खड़ा हो 

जाए। और मां… वो तो खुदा का दूसरा रूप होती है। अगर आपके पास मां है, तो समझिए आपके पास सब कुछ है।

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