सौतेली बेटी की कहानी step daughter story
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Moral Story |
नेहा नाम की एक लड़की जो 15 वर्ष की थी। 2 वर्षों पहले उसकी मां का निधन हुआ था। नेहा के पिताजी ने 2 वर्षों बाद दूसरी शादी कर लिया नेहा की सौतेली मां ने नेहा को कुछ महीनों तक अच्छे से देखभाल की जब नेहा की सौतेली मां ने अपने बेटे को जन्म दिया तब नेहा की सौतेली मां नेहा को परेशान करने लगी। नेहा से घर का सारा काम करवाती थी। और उसे समय पर खाना भी नहीं देती थी। नेहा की सौतेली मां ने अपने बेटे का नाम राहुल रखा था। वह अपने बेटे से बहुत प्यार करती थी। नेहा की सौतेली मां नेहा पर बहुत अत्याचार करने लगी। नेहा सौतेली मां का अत्याचार बर्दाश्त करती थी। जब राहुल 2 वर्ष का था। तब वह अपने रूम में खेल रहा था। तभी उस रूम में एक खतरनाक सांप आ जाता है। नेहा का ध्यान उस सांप पर जाता है। जब सांप राहुल को काटने ही वाला था। तभी नेहा उस सांप को पकड़ लेती है।
सांप नेहा को काट लेता है। नेहा सांप को नहीं छोड़ती है , वह सांप को अपने घर के बाहर ले जाकर छोड़ देती है। सांप वहां से भाग जाता है। नेहा वहीं पर गिर जाती है। आसपास के लोग जब नेहा को नीचे गिरे हुए देखते हैं। तो कुछ लोग नेहा को उठाने आते हैं। जब कुछ लोग नेहा को उठाने की कोशिश कर रहे थे। तभी देखते हैं, नेहा के मुंह से फेन निकल रहा है। जब वे लोग नेहा का हाथ देखते हैं। तो उसके हाथ पर सांप का काटने का निशान था। वे सभी लोग नेहा के सौतेली मां को आवाज लगाते हैं। आवाज सुनकर नेहा की सौतेली मां वहां पर आती है। और पूछती है, क्या बात है। आप सभी लोग मुझे क्यों बुला रहे हैं। एक आदमी बोलता है। आपकी बेटी को सांप काट लिया है। यह बात सुनकर नेहा की सौतेली मां अपने बेटे के पास जाती है। और देखती है उसका बेटा ठीक है। नेहा की सौतेली मां अपने बेटे को गोद में लेकर बाहर आती है।
और बोलती है। यह लड़की किसी काम की नहीं है। मैंने बोला था। घर का काम करने को लेकिन इसे तो बाहर घूमने का शौक है। अगर यह घर के बाहर नहीं जाती तो सांप इसे नहीं काटता एक आदमी बोलता है, अभी यह सब बोलने का समय नहीं है। इसे जल्दी से हॉस्पिटल लेकर जाना होगा। वरना इसकी जान भी जा सकती है। नेहा की सौतेली मां बोलती है। यह जिए या मरे इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है। वहां के लोग नेहा को हॉस्पिटल लेकर जाते हैं । नेहा हॉस्पिटल पहुंचने से पहले मर जाती है। जो लोग नेहा को हॉस्पिटल लेकर गए थे। वे लोग वापस आते हैं। और नेहा की सौतेली मां को बताते हैं, आपकी बेटी मर गई है। नेहा की सौतेली मां और उसके पिता हॉस्पिटल जाते हैं। वहां के डॉक्टर बोलते हैं, हम लोग आपकी बेटी की जान नहीं बचा पाए। नेहा की सौतेली मां को नेहा के मरने का दुख नहीं था।
वह मन में सोच रही थी। चलो अच्छा हुआ उससे मेरा पीछा छूटा सांप को बहुत दुख था। उसने गलती से नेहा को काट लिया था। सांप बताना चाहता था। उस दिन क्या हुआ था। जिससे नेहा की सौतेली मां को समझ में आए। नेहा अपने भाई को बचाने के लिए अपनी जान दे दी। सांप शिव भगवान की पूजा करने लगा तब शिव भगवान उसके सामने आते हैं। और पुछते है, क्या बात है। तुम मुझे क्यों पुकार रहे हो सांप अपनी सारी समस्या शिव भगवान को बताता है। शिव भगवान बोलते है। तुम आग में जलकर अपनी जान दे दो और उस आग में एक आत्मा निकलेगी और वह सारी बात नेहा की सौतेली मां को बता देगी। सांप आग में जलकर अपनी जान दे देता है। और उस आग से एक आत्मा निकलती है। और वह आत्मा नेहा के सौतेली मां के घर जाती है। और बोलती है, तुम्हारी सौतेली बेटी को जिस सांप ने काटा था। वह सांप तुम्हारे बेटे को काटने आया था। लेकिन तुम्हारी सौतेली बेटी अपने भाई को बचाने के लिए अपनी जान दे दि। यह बात सुनकर नेहा की सौतेली मां की आंखों में आंसू आ जाता है।