अच्छे कर्म का फल //Good deeds

अच्छे कर्म का फल //Good deeds


एक गांव में मोहन नाम का व्यक्ति रहता था मोहन अपने छोटे से घर में रहता था उस घर में उसकी पत्नी और दो बेटा था उसकी पत्नी का नाम आरती था और उसके बड़े बेटे का नाम पवन था और उसके छोटे बेटे का नाम अमन था पवन 5 वर्ष का था और अमन 3 वर्ष का था मोहन ऑटो चलाया करता था जिससे उसके परिवार का गुजारा होता था एक दिन जब मोहन ऑटो  चलाने गया तो उस ऑटो का दुर्घटना हो गया जिससे मोहन की मृत्यु हो जाती है। मोहन की पत्नी का जब पता चलता है कि मनोज का दुर्घटना हो गया है और उस दुर्घटना में मोहन की मृत्यु हो गई है। तो वह रोने लगती है और बोलती है अब हमारे बच्चों को कौन देखेगा अब हम किसके भरोसे रहेंगे अगल-बगल के लोग आरती को दिलासा देते हैं मत रो आरती  जो होना है वह हो कर ही रहता है हमारे हाथ में कुछ नहीं है। जब मोहन का अंतिम संस्कार होता है तो वहां के लोग आरती को बहुत मदद करते हैं और कुछ दिन बाद लोग अपने-अपने काम में लग जाते हैं जब आरती अब आरती  अकेली थी और उसके साथ अब दो बेटे थे। आरती के पास पैसे



 अब खत्म हो गए थे वह  सोचने लगी अब  कैसे जिंदगी जिया जाए अपने बेटों को कैसे अच्छे से रखें अब तो खाने पीने पर आफत आ गई है यही हाल रहा तो मेरे दोनों बेटे भूखा मर जाएंगे,  तभी आरती  ने सोचा अब हमारे बेटा का देख-रेख  खुद करना होगा उसके लिए  मुझे काम करना होगा लेकिन कौन सा काम करूं तभी उसने सोचा सिलाई का काम शुरू करती हूं। आरती को सिलाई आती थी पर मशीन खरीदने के लिए पैसे नहीं थे तो उसने सोचा किसी से पैसे कर्ज  ले लेती हूं तभी आरती  एक साहूकार  से 6000 का कर्ज मांगती  है तो साहूकार  बोलता है 6000 के बदले कुछ गिरवी रखना पड़ेगा। यह बात सुनकर आरती  अपने घर आती है और मंगलसूत्र जो कि सोने का था उसे लेकर साहूकार के पास जाती है और बोलती है यह लीजिए मंगलसूत्र सोने का है साहूकार यह देख कर चौक जाता है कि वह मंगलसूत्र गिरवी पर रखने आई है तभी साहूकार  बोलता है आज तक किसी ने भी मंगलसूत्र गिरवी पर नहीं रखा है आखिरकार  तुम उसे गिरवी पर क्यों रख रही हो तभी आरती  बोलती है इस मंगलसूत्र का रक्षक अब इस दुनिया में नहीं रहा तो अब यह मेरे लिए किस काम का है यह बात सुनकर साहूकार की आंखों में आंसू आ गया और बोला  मंगलसूत्र अपने पास रखो हमें तुमसे कोई भी  चीज गिरवी पर नहीं रखना है यह लो ₹6000 हज़ार



 आरती  पूछती है आप कितना ब्याज लेंगे तब का बोलता है तुम्हें जितना देना हो दे देना तभी आरती  बोलती है मैं आपको 2 पर्सेंट ब्याज दे दूंगी और 1 वर्ष बाद पैसा  वापस कर दूंगी आरती 6000 हज़ार  लेकर घर आती है। और अगले दिन बाज़ार जाकर एक मशीन खरीद कर ले आती है और अपने घर पर ही  सिलाई करने लगती है और घर के बाहर बोर्ड लगा देती है जिससे लोगों को पता चले कि यहां पर सिलाई होती है। जब लोगों को पता चला तो कुछ लोग वहां जाने लगे और कपड़े सिलवाने लगे वहां के औरतों को आरती  का काम बहुत पसंद भी आता था। धीरे-धीरे सभी लोगों को आरती के बारे में पता चल गया की आरती अच्छी तरह से सिलाई करती थी। जिससे वहां के लोग उसकी सिलाई से बहुत खुश रहते थे और कुछ दिनों बाद आरती की आर्थिक स्थिति ठीक हो गई थी। और अपने बेटा को अच्छी तरह से देखभाल कर रही थी अब उसके बेटा को परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ रहा था। आरती अपने बेटे को अच्छे स्कूल भेजा करती थी 1 वर्ष बाद आरती है ₹6000 हज़ार  जमा कर ली थी और



 अगले दिन साहूकार  के पास गई।आरती साहूकार  को शुक्रिया अदा करती है और बोलती आपने मेरे बुरे समय पर मेरा साथ दिया मैं आपका सदा आभारी रहूंगी और आरती ₹6000 हज़ार साहूकार  को दे देती है तभी साहूकार  बोलता है मुझे शुक्रिया अदा मत करो आप तो अपने मेहनत से काम करके यहां तक पहुंचे हो हमारा  तो बस थोड़ा सा सहारा था साहूकार ₹6000 हज़ार ले लेता है और आरती वहां से अपने घर चली जाती है कुछ वर्ष बाद आरती  अपने दोनों बेटों को बड़े शहर पढ़ने भेज देती है। आरती अपना सिलाई सेंटर की दुकान खोल लेती है और वहां के लोगों को सिलाई भी सिखाने लगी जिससे आरती की आमदनी अधिक हो गई थी और अपने दोनों बेटों की जरूरत आसानी से पूरी कर देती थी आरती के बेटा जब भी पैसा मांग करते तो आरती उसे हमेशा पैसा दिया करती थी 1 दिन आरती में सोचा बहुत दिन हो गए हैं दोनों बेटों से मिले आरती ने सोचा चलो एक बार दोनों बेटों से मिल कर आती हूं अगले दिन 
अच्छे कर्म का फल //Good deeds
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सुबह आरती ट्रैन पकड़ कर चली जाती है और वहां के लोगों को बोलती है कि मैं अपने बेटों से मिलने जा रही हूँ। और आरती ट्रेन पकड़ कर चली जाती है शाम को जब आरती अपने बेटों के घर पहुंचती है तो उसके दोनों बेटे बहुत खुश हो जाते हैं। अपनी मां को अचानक देखकर तभी उसकी मां पूछती है तुम्हें किसी भी चीज की परेशानी तो नहीं है ना दोनों बेटा बोलता है नहीं मां हम दोनों बिल्कुल ठीक है किसी भी चीज की परेशानी नहीं है तभी पवन बोलता है माँ आज रात यहीं पर आप रुक जाए उसकी मां बोलती है नहीं बेटा रात 8:00 बजे मेरा एक ट्रेन है हमें वापस जाना होगा तभी अमन बोलता है मां ऐसा कौन सा काम है मां बोलती है मैंने एक सिलाई सेंटर की दुकान खोली हूं वहां के लोगों को सिलाई सिखाती हूं और कुछ देर बाद आरती चली जाती है और बोलती है  तुम दोनों अपना ख्याल रखना आरती एक ऑटो वाले को रुकवाती है और स्टेशन जाने को बोलती है  तो वह ऑटो  वाला स्टेशन जाने के लिए



 तैयार हो जाता है जब ऑटो  जा रही था।  तभी आरती  की नजर एक लड़के पर पड़ी जिसकी उम्र 12 वर्ष था वह सड़क के किनारे पढ़ रहा था। और उसे ठंड भी  लग रहा था आरती ऑटो  वाले को रोकने को बोलती है आरती ऑटो  से उतरकर उस लड़के के पास जाती है और उसका नाम पूछती है और वह अपना नाम मनोज बताता है आरती पूछती है तुम्हें ठंड  नहीं लग रहा है मनोज बोलता है ठंड तो लग रहा है पर मैं क्या करूं मेरे पास पैसे नहीं है यह सुनकर आरती  वहां से चली जाती है और कुछ देर बाद वापस आती है उस लड़के को एक जैकेट  देती है और कुछ पैसे भी देती है और बोलती है अपना ख्याल रखना मैं चलती हूं आरती ट्रेन पकड़ कर अपने गांव वापस आ जाती है और अपना सिलाई सेंटर पर काम करना शुरू कर देती है 15 वर्ष बाद उसके बेटा ने अपनी मां को बुलाया जब उसकी मां वहां गई तो देखी वहां दो लड़की थी जब आरती  ने अपने बेटों से पूछा यह लड़की कौन है तभी पवन ने बोला यह आपकी बहू है यह बात सुनकर आरती को बहुत दुख हुआ क्योंकि दोनों बेटों को बहुत प्यार करती थी



 और दोनों ने कभी नहीं बोला था कि वह किसी लड़की से प्यार भी करते हैं और  बिना बताए शादी भी कर लिया, तभी अमन बोलता है मां क्या हुआ नाराज मत हो हमें माफ कर दो आरती  अपने मन में सोचती है चलो जाने दो जो हुआ सो हुआ वह अपने दोनों बहुओं को आशीर्वाद देती है और अपने गांव वापस आ जाती है पवन और अमन की पत्नी बहुत खर्चीली थी वह अपने पैसों को शौक  की चीजों में अधिक खर्चा करती थी। पवन और अमन  की पत्नी ने आपस में बात की हम इस छोटे से घर में इतने खुश नहीं है आज हम दोनों अपने पति से बड़ा घर लेने को बोलेंगे रात में जब पवन और अमन काम करके वापस आते हैं तो देखता है उसकी पत्नी बहुत अच्छे से स्वागत कर रही है और उनके  मनपसंद का खाना बनाया है। सभी लोग खाना खाकर अपने कमरे में चले  जाते हैं तो पवन की पत्नी बोलती है मैं आपसे कुछ मांगना चाहती हूं मना तो नहीं करेंगे ना पवन बोलता है मांगो क्या मांगना है तब पवन की पत्नी बोलती है यह घर में हम लोग कई दिनों से रह रहे हैं क्यों ना इस घर को बेचकर बड़ा घर ले लिया जाए पवन बोलता है तुम पागल तो नहीं हो गई हो ना तुम जानती हो कि मेरा वेतन कितना कम है और तुम अपने शौक पूरे करने के चक्कर में मेरा आधा वेतन ऐसे ही खत्म कर देती हो यह बात सुनकर
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पवन की पत्नी नाराज हो जाती है। जब सुबह होता है तो देखता है उसकी पत्नी अभी तक सोई हुई है और उसे काम पर भी जाना था पवन नीचे आकर अमन को पुकारता है अमन आता है और पूछता है क्या बात है भैया पवन बोलता है तुम्हारी भाभी बोल रही थी यह  घर बेचकर बड़ा सा घर लिया जाए। तो  मैंने उसे मना कर दिया है जिससे वह नाराज होकर अभी तक सोई हुई है तभी अमन बोलता है मेरी पत्नी भी कल रात यही बात बोल रही थी मैंने भी मना कर दिया जिससे वह भी नाराज है पवन बोलता है छोड़ो इस बारे में बाद में बात करेंगे पहले ऑफिस चला जाए नहीं तो लेट हो जाएगी।  ऑफिस से आकर इस बारे में बात होगी जब दोनों रात में घर आते हैं तो देखते हैं घर अंधेरा है



 अमन घर का लाइट ऑन करता है और अपनी पत्नी को बुलाता है लेकिन वह नहीं आती है अब दोनों भाई आपस में बात करते हैं क्या किया जाए यह  घर बेचकर बड़ा घर ले लिया जाए अमन बोलता है मुझे लगता है और कोई रास्ता नहीं है इस घर को बेचकर बड़ा घर ले लिया जाए तभी पवन अपनी पत्नी को आवाज लगाता है मुझे तुम्हारी बात मंजूर है नीचे आ जाओ यह बात सुनकर पवन की पत्नी दोड़ते हुए नीचे आती है और बोलती है मुझे मालूम था तुम मेरी बात कभी नहीं मना कर सकते हो पवन बोलता है अब अपनी देवरानी को भी बुला लो पवन की पत्नी आवाज लगाती है छोटी कहां हो जल्दी आओ तब अमन की  पत्नी बोलती है हां दीदी आ रही हूं। सभी लोग रात में खाना खा कर सो जाते हैं और अगले दिन घर को  नीलाम कर देते हैं और घर नीलाम करने के बाद जो पैसा मिलता है उस पैसों से बड़ा घर खरीदने जाते हैं लेकिन बड़ा घर का कीमत बहुत था और  उनके पास पर्याप्त पैसे नहीं था



 तब पवन  ने अमन से बातचीत की और बोला हमें बैंक से कर्ज लेना पड़ेगा अमन भी तैयार हो गया और  अगले दिन दोनों बैंक जाते हैं और लोन का डिमांड  रखते हैं बैंक उन दोनों को 10 लाख  का लोन देता है और अगले दिन बड़ा घर खरीदने जाते हैं तो उनके पास सिर्फ 40 लाख 30 लाख घर बेचकर मिला था और 10 लाख उसने बैंक से कर्ज लिया था। और घर का कीमत 50 लाख  था जिस कारण से उन्हें बड़ा घर नहीं मिला आज दोनों निराश होकर अपने घर आते हैं  वह सभी किराए के घर में रह रहे होते हैं जब पवन और अमन घर पहुंचते हैं तो उसकी पत्नी पूछती है आप लोग इतने उदास क्यों है  आपने बड़ा घर लेने गए थे क्या हुआ मिला तभी अमन बोलता है उस घर की कीमत 50 लाख  है और हमारे पास मात्र 40 लाख ह जिस कारण से वह घर को नहीं खरीद सकते हैं सभी लोग चिंता में आ गए और सब लोग रात में खाना खा रहे थे तो आपस में बात कर रहे थे बाकी का 10 लाख  का इंतजाम



 कैसे किया जाए तभी पवन के दिमाग में एक विचार आया और बोला क्यों ना हम अपनी मां के पास जाकर 10 लाख  का इंतजाम कर ले सभी लोग पवन की बात से सहमत हो गए और अगले दिन मां से मिलने पवन अमन चले गए जब दोनों मां के पास पहुंचते हैं तो मां दोनों बेटों को सामने देखकर बहुत खुश हो जाती है और पूछती है आज तुम्हें मेरी याद आई तभी पवन बोलता है नहीं मां हमारे पास समय नहीं था हमने 15 दिनों की छुट्टी ले रखा है तो सोचा मां से मिला चले तभी मां पूछती है तुम दोनों ही आए हो और मेरी बहू कहां है अमन बोलता है वह वहीं पर है अमन अपनी मां से बात करने लगा और पवन वहां का निरीक्षण करने लगा रात में जब तीनों बैठकर खाना खा रहे थे तो पवन ने बोला मां अब तुम हमारे साथ चलो मां बोलती है बेटा कैसे चल जाऊं यहां पर सिलाई सेंटर कौन देखेगा तभी पवन बोलता है मां आप कब तक काम करोगे अब आपकी उम्र 50 वर्ष हो गई है अब आपको हमारे साथ रहना चाहिए क्योंकि आप की देखभाल करना हमारा फर्ज है तभी अमन बोलता है हम लोग एक बड़ा सा घर लेने वाले हैं आप वहीं पर रहिएगा यह सब बेच  दीजिए तभी मां बोलती है तुम लोग क्या बोल रहे हो मैं इसे भेज दूंगी



 तो मेरा क्या होगा तभी पवन बोलता है मां अब आप हमारे साथ आराम से रहिए अब आपको काम करने का कोई जरूरत नहीं है मां उन दोनों की बात मान जाती है और अगले दिन घर और सिलाई सेंटर बेच देती है जिससे उनको 15 लाख  मिलता है और वहां से अपने बेटों के घर चल जाती है और जब माँ  अपने बेटा का  घर पहुंचती है तो पूछती है यह किसका घर है अमन बोलता है हमने पुराना घर बेच दिया है यहां हमलोग किराया पर रह  रहे हैं और अगले दिन बड़ा घर ले लेंगे जब आरती  घर के अंदर घुसती है तो उसकी बहू बहुत सेवा करती है और अगले दिन पवन और अमन बड़ा घर खरीदने  चले जाते हैं और 50 लाख  दे कर बड़ा घर  खरीद लेते हैं और  बाकी का जो 5 लाख  बजता है जिससे वह बड़ा घर खरीदने की खुशी में अपने दोस्तों और पड़ोसियों को अपने घर पर आमंत्रण करते हैं और एक बड़ा पार्टी दे देते हैं।  कुछ दिन बाद उस घर की स्थिति खराब होने लगी क्योंकि दोनों भाइयों की आय कम थी और खर्चा अधिक था और उनकी पत्नी अधिक पैसे खर्चा करती थी। जिस कारण से पवन और अमन ने जो कर्ज  लिया था उस कर्ज को चुका भी नहीं पा रहे थे।  जब रात में सभी लोग खाना खा रहे थे तो पवन ने अपनी पत्नी को बोला तुम लोगों की वजह से हम लोगों को अधिक मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है तुम पैसों की इज्जत नहीं करती हो और उसे अपने शौक पूरे करने के लिए खर्चा करती हो जिस कारण से बैंक का कर्ज भी समय से नहीं दे पा रहे हैं पवन ने सभी को बोल दिया कि अब से कोई भी पैसा को बेफिजूल खर्चा नहीं करेगा यह बात सुनकर पवन की पत्नी को बहुत गुस्सा आया परंतु उसने कुछ नहीं कहां और चुपचाप रह  गई और अगले दिन जब पवन और अमन काम पर चले जाते हैं तो पवन की पत्नी और अमन की पत्नी आपस में मिलकर




बातचीत करती है अब तो हमारी जिंदगी में नर्क जैसी हो गई है अब  क्या करें तभी अमन की पत्नी बोलती है अब से  घर का काम और बाहर का काम आरती  से करवाएंगे और अगले दिन से दोनों मिलकर आरती  को परेशान करने लगे और घर का सारा काम करने को बोली तो आरती ने बोला बहू मैं सारा काम अकेली कैसे करूंगी तुम सब भी मिलकर करो तभी पवन की पत्नी बोलती है  मेरे से मुँह मत लगाओ चुपचाप काम करो वरना आज तुम्हें खाना भी नहीं मिलेगा यह सब सुनकर आरती को बहुत बुरा लग रहा था और मन में सोच रही थी मैंने इनका क्या बिगाड़ा है जो दोनों मिलकर हमें परेशान कर रही  हैं जब रात में दोनों भाई काम करके वापस आते हैं तो उसकी पत्नी पूछती है आज बहुत देर हो गई आने में तभी अमन बोलता है आज काम अधिक था। आरती  भी वही रहती है और अपने बेटों को बोलती है बेटा तुम ने मुझे यहां क्यों बुलाया है तभी पवन पूछता है क्या हुआ माँ  आपको तब आरती बोलती है तुम्हारी पत्नी मुझ पर बहुत अत्याचार करती है और घर का सारा काम भी करवाती है तभी पवन अपनी पति से पूछता है मां जो बोल रही है क्या वह सच है तो उसकी पत्नी बोलती है इसमें बड़ा  बात क्या है बैठे-बैठे खाना मिलता है यह बात सुनकर पवन अपनी पत्नी को एक जोरदार चाटा मरता है जिस वजह से उसकी पत्नी रोते हुए अपने कमरे में चली जाती है और अपना सामान पैक करने लगती है और सामान पैक कर के वहां से जाने लगती है तभी अमन की पत्नी बोलती है दीदी मैं भी आपके साथ जाऊंगी और अमन की पत्नी भी अपना सामान पैक कर लेती है



 और दोनों घर छोड़कर जाने लगते हैं तभी पवन बोलता  हैं मुझे माफ कर दो,  प्लीज घर छोड़कर मत जाओ मैंने गलती से तुम पर हाथ उठा दिया है तभी पवन अपनी मां को बुलाता है और बोलता है अब से  जो आपकी बहू बोलेगी वैसे आपको करना होगा वरना इस घर से निकाल दूंगा पवन की पत्नी यह बात सुनकर बहुत खुश हो गई और अपने पति को बोला ठीक है मैं यह घर छोड़कर नहीं जाती हूं परंतु अपनी मां को अच्छे से समझा दो छोटी सी बातों को बड़ा बताकर पेश ना करना, और जैसा हम बोलेंगे वैसा करना होगा पवन बोलता है मुझे तुम्हारी सारी बातें मंजूर है जब अगले दिन पवन और अमन काम पर चले जाते हैं तो उसकी पत्नी को मानो आजादी मिल गई हो आरती को बहुत परेशान करने लगी और बाज़ार  भी समान लाने  ने भेजा करती थी अब आरती की जिंदगी नर्क  के समान हो गई थी एक दिन जब आरती  बाजार सब्जी गई तो वह सब्जी खरीद कर घर आ रही थी तभी रास्ते में चक्कर खाकर गिर गई थी




जिस रास्ते पर आरती  चक्कर खाकर गिर गई थी उस रास्ते पर बहुत कम लोग आया करते थे करीब 1 घंटे बाद एक कार उस रास्ते से गुजर रहा था उस कार में बैठे एक व्यक्ति ने आरती को  देख लिया और उसने अपने ड्राइवर को बोला गाड़ियों को रोको वहां पर कोई गिरा हुआ है वह व्यक्ति कार से उतर कर आरती  के पास गया तो उसने देखा कि यह महिला बेहोश है उसने अपने ड्राइवर को बोला जाओ कार मैं से पानी का बोतल लेकर आओ जब पानी आरती  के चेहरे पर छिड़कता  है तो उसे होश आ जाता है तभी वह व्यक्ति बोलता है मां जी आपने मुझे पहचाना तो आरती  बोलती है तुम कौन हो बेटे मैं नहीं पहचानती हूं तभी वह व्यक्ति बोलता है मैं मनोज हूं याद है आपको 25 वर्ष पहले जब मुझे ठंड लग रही थी तो आपने मुझे एक जैकेट और कुछ पैसे दिए थे यह सुनकर आरती को याद आ जाता है और  बोलती है वह तुम हो तभी मनोज पूछता है आप की ऐसी हालत कैसे हुई है आरती बताती है मेरी जिंदगी अच्छी चल रही थी लेकिन मेरे बेटे ने मुझे धोखा दिया है मुझे अपने पास बुला कर काम भी करवाते हैं और खाना भी समय पर नहीं देते हैं यह सब बात सुनकर मनोज बोलता है मां जी अभी आप मेरे साथ चलिए मेरे घर पर मनोज आरती को अपने कार में बैठा कर अपने घर ले जाता है जब आरती मनोज के घर पहुंचती है तो वह दंग रह जाती है
अच्छे कर्म का फल //Good deeds
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क्योंकि उसका घर बहुत बड़ा था आरती  पूछती है बेटा यह घर तुम्हारा अपना है क्या? मनोज बोलता है हां माँ जी तभी मनोज अपनी पत्नी को आवाज लगाता है और उसकी पत्नी वहां आती है और मनोज बोलता है मैंने तुम्हें बताया था। कि जब मुझे ठंड लग रही थी तो मुझे एक महिला ने जैकेट और कुछ पैसे दिए थे वह महिला यही है बात सुनकर मनोज की पत्नी आरती के पैर छूती है और आरती की देखभाल करने लगती है तभी मनोज की पत्नी पूछती है मां जी आपकी हालत ऐसे कैसे हुई है तभी मनोज अपनी पत्नी को बोलता है इनके बेटे और बहू ने इन पर बहुत अत्याचार किए हैं मनोज की पत्नी आरती से बोलती है मां जी हम दोनों का अपना कोई नहीं है आप हम दोनों के साथ रहिए। यह बात सुनकर आरती के आँखो में आंसू आ गए और आरती बोलती है बेटा मैंने तो तुम्हारी छोटी सी मदद की थी पर उस छोटी सी मदद को तुम नहीं भूले हो आरती बोलती है ठीक है मैं यहीं पर रह जाती हूं। जब रात में पवन और अमन काम करके घर आए तो उसकी पत्नी ने बोला देखो तुम्हारी मां को सुबह सब्जी लाने को भेजा था




 अभी तक नहीं आई है तभी अमन बोलता है अरे तुम इतना चिंता क्यों कर रही हो अच्छा है कम से कम उनका खर्चा तो बचेगा यह बात सुनकर उसकी पत्नी बहुत खुश हो जाती है क्योंकि उसको डर था कहीं उसके पति नाराज ना हो जाए परंतु  ऐसा कुछ नहीं हुआ। और अगले दिन सुबह आरती आती है और बैल बजाती है। आवाज सुनकर पवन की पत्नी दरवाजा खोलने आती है तो देखती है कि आरती  है तभी वह आदमी को बुरा भला बोलने लगती है पवन की पत्नी को पता नहीं था कि आरती के साथ एक और व्यक्ति साथ आया है तभी मनोज वहां पर आता है और बोलता है आप इन्हें इस तरह से जलील क्यों कर रही है तो वह बोलती है तुम कौन हो जो इसकी इतनी फिक्र कर रहे हो मनोज बोलता है हमें आपसे बात नहीं करना है अपने पति को बुलाइए तभी कुछ देर बाद में ही पवन अमन  वहां पर पहुंच जाते हैं जब दोनों भाई वहां पहुंचते हैं तो चौक जाते हैं क्योंकि मनोज और कोई नहीं उन दोनों का बॉस था जहां वह काम करते थे तभी पवन बोलता है सर आप यहां अंदर आइए बैठिए। मनोज आरती से पूछता है क्या यह दोनों आपके बेटे हैं आरती हां बोलती है मनोज बोलता है तुमने अपनी मां पर  बहुत अत्याचार किया है जिसकी सजा तुम्हें मिलेगी आज से तुम काम करने मेरे ऑफिस नहीं आओगे और तुम्हारी मां हमारे साथ रहेगी। 

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