जिंदगी में कभी हार मत मानो//Never give up in life

जिंदगी में कभी हार मत मानो//Never give up in life



सुरेश नाम का लड़का था। जो बहुत गरीब था उसके पिता का नाम मोहन था। और मोहन मजदूरी करता था। उसका आय बहुत कम था। फिर भी वह  जितने पैसे कमाता था। उसी में वह खुश रहता था मोहन की पत्नी का नाम मनीषा था तीनों एक घर में एक खुशी-खुशी रहते थे। और मोहन अपने बेटा को अच्छे स्कूल भी भेजता था। मोहन चाहता था। उसका बेटा पढ़ लिख कर एक डॉक्टर बने एक दिन मोहन काम पर जा रहा था। तभी उसी रास्ते से एक सांप  गुजर रहा था। मोहन ने उस सांप को नहीं देखा और उस सांप पर अपना पैर रख दिया जिस वजह से सांप ने मोहन को काट लिया जिससे मोहन की मृत्यु हो जाती है। तब सुरेश की उम्र 14 वर्ष था। मोहन के मृत्यु के बाद उस घर की आर्थिक स्थिति खराब हो गई थी। तभी सुरेश ने अपनी मां को बोला अब समय आ गया है। मुझे कुछ काम करना होगा जिससे हमें आर्थिक समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा। सुरेश सुबह स्कूल भी जाता था। और जब स्कूल से छुट्टी होती थी तो वह अपने काम पर चला जाता था। अब वार्षिक परीक्षा का टाइम टेबल स्कूल ने घोषित कर दिया था।



 उस वक्त सुरेश सेवन क्लास में था। सुरेश जब स्कूल से पढ़ कर आता था। तो उसे पढ़ने का टाइम नहीं मिलता था। वह अपने काम पर चला जाता था। कुछ दिनों बाद परीक्षा आ गया जब परीक्षा हुआ और परिणाम आया तो सुरेश फेल हो गया था। जिस वजह से वह उदास हो गया और घर आकर अपनी मां को बताता है। मां मै फैल अपने गया हूँ। माँ अपने बेटा को बोलती है। हिम्मत मत हारो जो लोग पास हो गए हैं। उस पर तुम्हारे जितना दबाव नहीं होगा तुम अपना पढ़ाई जारी रखो मां की यह बात सुनकर सुरेश मान गया और वह फिर स्कूल गया जब वह स्कूल के अंदर गुस्सा तो वहां पर सभी बच्चे ने सुरेश का मजाक उड़ाने लगे और हंसने लगे सुरेश को बहुत शर्मिंदगी महसूस हो रही थी। फिर भी उसने चुपचाप अपने सीट पर जाकर बैठ गया और जितने भी शिक्षक आते हैं। तो सुरेश को बोलते हैं पढ़ाई पर ध्यान दो सुरेश सभी शिक्षक को हां में जवाब देता है। जब स्कूल से छुट्टी हुई तो वह अपने काम पर चला जाता है। सुरेश अपनी पढ़ाई पर अधिक ध्यान नहीं दे पाता था। ऐसे ही जीवन चलने लगा और 1 वर्ष बाद फिर से परीक्षा का टाइम टेबल घोषित हो गया जब परीक्षा हुआ तो उसके बाद जब नतीजा आया तो सुरेश एक बार फिर



 फेल हो गया था। सुरेश की आंखों में आंसू आ गए और सीधा अपनी मां के पास जाता है। और बोलता है मां मैं स्कूल  नहीं जाऊंगा मां पूछती है। बेटा ऐसा क्यों बोल रहे हो सुरेश बोलता है। मां में फिर से फेल हो गया हूं। मां बोलती है बेटा निराश मत हो तुम्हारे पिताजी का सपना था। तुम पढ़-लिखकर एक डॉक्टर बनो सुरेश बोलता है। मां पढ़ाई करने का समय नहीं मिल पाता है। उसकी मां बोलती है ऐसी बात है तो तुम आज से काम पर जाना छोड़ दो फिर सुरेश बोलता है। कि बिना पैसे का जीवन का  गुजारा कैसे होगा माँ बोलती है। बेटा मैं कहीं पर काम करके पैसा का इंतजाम कर लूंगी फिर सुरेश बोलता है। नहीं माँ  मेरे होते हुए आप काम नहीं करोगे मैं अब से रात में पढ़ाई करूँगा और जब अगले दिन सुबह सुरेश स्कूल जाता है। तो वहां पर सभी बच्चों ने फिर से सुरेश का मजाक उड़ाते हैं। और
जिंदगी में कभी हार मत मानो//Never give up in life
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उस पर हंसने लगते हैं। और कुछ शिक्षक भी सुरेश को बहुत अपमान  करते हैं। और बोलते हैं। तुम्हें शर्म नहीं आती है दो बार फेल होने के बाद भी स्कूल आ गए हो उसी में से एक शिक्षक जिनका नाम निधि था। वहां पर नया शिक्षक के रूप में आई थी। सभी शिक्षक ने सुरेश को डांटा लेकिन निधि मैम सुरेश को कुछ नहीं बोली और जब छुट्टी होती है। तो सुरेश सीधा अपने मां के पास जाता है। और बोलता है। मैं अब से  स्कूल नहीं जाऊंगा सभी लोग मेरा मजाक उड़ाते हैं। माँ बोलती है, ठीक है बेटा जैसा तुम चाहो फिर सुरेश स्कूल जाना बंद कर दिया। एक हफ्ते बाद निधि मैम कार से कहीं जा रही थी तभी उनका ध्यान सुरेश पर गया तभी उसने अपने ड्राइवर को कार रोकने को बोला और वह निधि मैम कार  से नीचे उतारकर सुरेश के पास जाती है। और पूछती है, सुरेश तुम स्कूल क्यों नहीं आ रहे हो और यह चाय की दुकान किसकी है। सुरेश बोलता है मैम  मैं यहां पर काम करता हूं। मुझे पंद्रह सौ रुपया मिलता है।



 जिससे मेरा और मेरी मां का गुजारा होता है। अब निधि मैम सब कुछ समझ गई थी। और पूछी  तुम कहां रहते हो सुरेश अपना पता निधि मैम को बता देता है। और अगले दिन सुबह निधि मैम सुरेश के घर पहुंच जाती है सुरेश जब निधि मैम को देखता है तो पैर छू कर आशीर्वाद लेता है। और अपनी मां को बुलाता है। और बोलता है।  मां यह मेरे  स्कूल के निधि मैम है। सुरेश की मां निधि मैम को घर के अंदर बैठाती है। और सुरेश बाहर कुछ नाश्ता लाने के लिए चला जाता है निधि मैम पूछती है सुरेश कब से काम कर रहा है। और क्यों सुरेश की मां बोलती है करीब 2 वर्षों से देश काम कर रहा है। क्योंकि उसके पिता की मृत्यु सांप काटने से हो गई थी। उसके बाद हमारी आर्थिक स्थिति खराब हो गई थी जिस कारण से सुरेश काम करने लगा निधि मैम बोलती है। तो यह बात है, जिस काम से सुरेश दो बार फेल हो गया है। और कुछ देर बाद सुरेश आ जाता है। फिर निधि मैम बोलती है। सुरेश कल से तुम स्कूल आओगे और काम पर नहीं जाओगे जो कुछ भी चाहिए हमें बोलना और सुरेश  की मां को बोलती है। आज से मै आपकी आर्थिक मदद करुँगी। किसी भी चीज की परेशानी नहीं होगी तभी सुरेश बोलता है। मैम जब मैं स्कूल



 जाऊंगा तो सब मेरा मजाक उड़ाएंगे निधि मैम बोलती है। तुम उन लोगों की बात पर ध्यान मत देना अब से सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान देना अबकी बार तुम्हें पास होना है। और जब स्कूल से छुट्टी हो जाती है। फिर तुम सीधा मेरे घर पर पढ़ने आना और अगले दिन सुरेश जब स्कूल गया तो फिर से सभी बच्चों ने मजाक बनाना शुरू कर दिया और उस पर हंसने लगे लेकिन सुरेश निधि मैम की बात याद रखा था और वह सभी बातों को नजरअंदाज कर रहा था। तभी एक बच्चे ने बोला दो बार फेल हो गया है आपकी तीसरी बार फेल होने आ गया है जब स्कूल से छुट्टी हुई तो सुरेश निधि मैम के पास पढ़ने चला गया सुरेश अब पढ़ाई में अधिक ध्यान दे पा रहा था।




 क्योंकि उसके पास दूसरा कोई काम नहीं था। और वह सिर्फ अपनी पढ़ाई में ध्यान दे रहा था। 1 साल बाद स्कूल में परीक्षा का दिनांक घोषित किया गया। जब परीक्षा सामने आया तो सुरेश बहुत खुश था। क्योंकि उसने अच्छे से पढ़ाई किया था। और जब क्वेश्चन पेपर आया तो सुरेश सारा सवाल का जवाब लिख दिया और कुछ दिन बाद रिजल्ट आया तो सभी लोग हैरान हो गए। क्योंकि सुरेश अपने क्लास में सबसे अधिक नंबर लाया था। तभी सभी लोगों के सामने प्रिंसिपल ने सुरेश से पूछा इस वर्ष तुम सबसे अधिक नंबर कैसे लाए हो सुरेश मुस्कुराते हुए बोलता है यह हमारी मेहनत नहीं है। यह तो निधि मैम की मेहनत है। जिन्होंने हमें पढ़ाया और हमारी मदद की प्रिंसिपल ने निधि मैम को बुलाया और पूछा आपने इसे कैसे
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पढ़ाया कि यह पूरी क्लास में फर्स्ट आया है। निधि मैम बोलती है, जो बच्चा पढ़ता है। वही पास करेगा। लेकिन सुरेश 2 वर्षों से सिर्फ स्कूल आता था। उसके पास पढ़ने का टाइम कहां मिलता था। फिर प्रिंसिपल पूछते है। ऐसा कौन काम करता था जिससे पढ़ने का टाइम नहीं मिलता था। निधि मैम बोलती है। स्कूल से जब छुट्टी होती थी। तो सुरेश एक चाय की दुकान पर काम करने जाता था। जिससे इसकी और मां को आर्थिक समस्याओं का सामना ना करना पड़े  प्रिंसिपल सर बोलते हैं। इसके पिताजी काम नहीं करते हैं। तभी सुरेश बोलता है। सर मेरे पिताजी हमें 2 वर्ष पहले छोड़ कर चले गए अब इस दुनिया में नहीं है। उनकी मृत्यु हो गई है। यह बात सुनकर वहां पर  सभी लोगों के आंखों में आंसू आ गए क्योंकि आज तक सुरेश ने कभी भी किसी से कुछ नहीं कहा था। कि उसके पिता की मृत्यु हो गई है। और  किसी ने जानने की कोशिश भी नहीं की सभी को अपने आप पर शर्मिंदगी हो रही थी। फिर प्रिंसिपल सर ने निधि मैम को शुक्रिया कहाँ और बोले आज आपने हमें एक नई बात सिखाई है। किसी की मजबूरियों को जानना चाहिए उस पर गुस्सा नहीं करना चाहिए। और जब सुरेश स्कूल से सुरेश घर आता है तो वह अपनी मां को बोलता है। मां मैं पास हो गया हूं और क्लास में टॉप भी किया हूं। उसकी मां बहुत खुश हो जाती है। और अपने बेटे को सीने से लगा लेती हैं। 



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