मनीषा नाम की एक लड़की जो रेलवे स्टेशन पर भीख मांगा करती थी जो लोग उसे भीख देते थे मनीषा उस पैसे से खाना खरीदा करती थी मनीषा हर दिन रेलवे स्टेशन पर भीख मांगती थी लेकिन एक दिन मनीषा को किसी ने भीख नहीं दिया उसे अपने पास से भगा देते थे लेकिन वहीं पर मोहन नाम का एक व्यक्ति था जो यह सब देख रहा था उसे उस लड़की पर दया आ रहा था जब मनीषा वहां से उदास होकर जा रही थी तभी मोहन ने मनीषा को आवाज लगाई मनीषा आवाज सुनकर रुक जाती है मोहन मनीषा से पूछता है तुम पैसे का क्या करती हो मनीषा बोलती है मैं पैसों से खाना खरीदती हूं मोहन को लगा मनीषा झूठ बोल रही है तब मोहन ने बोला चलो मैं तुम्हें
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खाना खरीद कर दे देता हूं मनीषा खाना लेकर चली जाती है अगले दिन मनीषा रेलवे स्टेशन पर फिर भीख मांगने आ जाती है मोहन मनीषा को देखकर उसके पास जाता है और पूछता है तुम्हें खाना चाहिए मनीषा हां बोलती है मोहन मनीषा को खाना खरीद कर दे देता है खाना लेकर मनीषा वहां से चली जाती है मोहन मन में सोचता है आखिरकार मनीषा खाना लेकर कहां जाती है जब अगले दिन मनीषा रेलवे स्टेशन पर फिर से भीख मांगने आई तो मोहन ने मनीषा को खाना खरीद कर दे दिया और मोहन मनीषा का पीछा करने लगा मनीषा खाना लेकर जाने लगी वह बहुत सारी गलियों से जा रही थी और अचानक से कहां गायब हो गई मोहन को पता नहीं चला मोहन वापस आ गया और सोचने लगा मैं तो पता लगा कर ही रहूंगा वह खाना कहां लेकर जाती है जब अगले दिन मनीषा भीख