believe there is life Hindi stories। विश्वास है तो जीवन है। हिंदी स्टोरी
रमेश नाम का व्यक्ति जो बहुत गरीब था जिस कारण से बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता था। रमेश की पत्नी का नाम आरती था और उनका एक बेटा था। रमेश चाहता था उसका बेटा अच्छे स्कूल में पढ़े लेकिन पैसा ना होने के कारण रमेश अपने बेटे को नहीं पढ़ा सकता था। आरती अपने पति को बोलती है हम लोग तो मजदूरी करके अपना जीवन गुजारते हैं। लेकिन मैं चाहती हूं मेरा बेटा एक अच्छे स्कूल में पढ़े रमेश अपनी पत्नी को बोलता मैं भी चाहता हूं। कि मेरा बेटा अच्छे स्कूल में पढ़े लेकिन मेरे पास इतने पैसे नहीं है कि मैं अपने बेटे को अच्छे स्कूल
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में पढ़ा सकूं। आरती बोलती है हम दोनों मेहनत करेंगे लेकिन अपने बेटे को जरूर पढ़ाएंगे। रमेश बोलता है मुझे तुम्हारी बात मंजूर है। और कुछ दिनों के बाद रमेश अपने बेटे को अच्छे स्कूल में नाम लिखा देता है। रमेश और उसकी पत्नी दोनों ने बहुत मेहनत करके अपने बेटे को पढ़ा रहे थे। रमेश का बेटा भी मन लगाकर पढ़ाई करता था। और सभी से अच्छे व्यवहार करता था। रमेश का बेटा जिस स्कूल में पढ़ने जाता था उसी स्कूल में उसका एक दोस्त था। जिसका नाम विजय था। 1 दिन स्कूल के टीचर ने विजय को क्लास से बाहर निकाल दिया। रमेश के बेटे ने विजय से पूछा बोलो विजय तुम्हें टीचर ने क्लास से क्यों निकाल दिया विजय बोलता है।मैंने इस महीने फीस जमा नहीं की है। जिस कारण से स्कूल की टीचर ने हमें निकाल दिया। रमेश की यह बात सुनकर रमेश का बेटा बहुत उदास हो जाता है।
रमेश का बेटा जब घर आता है तो वह बहुत उदास था। रमेश अपने बेटे से पूछता है क्या हुआ बेटा तुम इतना उदास क्यों हो? रमेश का बेटा अपने पिताजी को बोलता है पिताजी मेरा एक दोस्त है जिसका नाम विजय है। आज टीचर ने विजय को स्कूल से बाहर निकाल दिया। रमेश अपने बेटे से पूछते हैं ऐसी क्या बात है बेटा जिस काम से विजय को टीचर ने स्कूल से बाहर निकाल दिया। रमेश का बेटा अपने पिताजी को बोलता है पिताजी विजय ने स्कूल में फीस जमा नहीं किया था जिस कारण से विजय को स्कूल से निकाल दिया गया। रमेश अपने बेटे को बोलता है ऐसी बात है तो तुम अपने दोस्त को मेरे पास कल बुला कर लेकर आना अगले दिन रमेश का बेटा विजय घर बुलाकर लेकर आता है। रमेश विजय से पूछता है ऐसी क्या बात है विजय जो तुमने स्कूल की फीस जमा नहीं कर पाया। विजय बोलता है। मेरी मां की तबीयत बहुत खराब है। मेरी मां के इलाज में पैसे खत्म हो गए हैं। जिस कारण से मैंने स्कूल में फीस जमा नहीं कर पाया। रमेश विजय को बोलता है तुम चिंता मत करो बेटा तुम कल से स्कूल जाओ तुम्हारी जो भी फीस है मैं दे दूंगा। रमेश में विजय की फीस स्कूल में जमा कर दिया। रमेश के बेटे की पढ़ाई कुछ वर्षों में पूरी हो गई थी। उसने अपने पिताजी को बोला पिताजी मैं विदेश पढ़ने जाना चाहता हूं। रमेश अपने बेटे को बोलता है। मेरे पास इतने पैसे नहीं है कि मैं तुम्हें विदेश भेज सकूं। रमेश का बेटा अपने पिताजी को समझाता है और बोलता है पिताजी यहां पर ऐसा कोई कॉलेज नहीं है जहां मैं पढ़ सकता हूं। हमें विदेश जाना होगा पढ़ने के
लिए रमेश की पत्नी अपने पति को बोलती है बेटा तुम चिंता मत करो तुम पढ़ाई के लिए विदेश जरूर जाओगे। रमेश की पत्नी अपने पति को समझ आती है अगर हमारा बेटा विदेश पढ़ने जाएगा और कुछ बड़ा करेगा तो इसमें हमारा नाम होगा। रमेश की तैयार हो जाता है और अपने बेटे को विदेश पढ़ने के लिए भेज देता है। रमेश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी फिर भी उसने अपने बेटे को पढ़ने के लिए विदेश भेज दिया। रमेश ने बहुत सारे लोगों से कर्ज ले लिया था अपने बेटे को विदेश भेजने के लिए। रमेश सोच रहा था अगर उसका बेटा कुछ बड़ा काम करेगा तो सभी लोगों को कर्ज दे दूंगा। जब भी रमेश के बेटे को पैसे की जरूरत पड़ती तो अपने पिताजी को फोन करके पैसे मंगवा लेता है। रमेश ने अपने बेटे को पढ़ाने के लिए बहुत कष्ट किया। लेकिन रमेश का बेटा विदेश जाने के बाद वह अपने पिताजी और माताजी को भूल चुका था क्योंकि वहां पर उसे एक लड़की से प्यार हो गया। और
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