घमंडी घोड़ा// New hindi stories

         घमंडी घोड़ा// New hindi stories
Hindi Story


 महेश नाम का एक व्यक्ति जो घोड़े का शौकीन था वह अपने पास बहुत सारे घोड़े रखता था और  वह उस घोड़े को रेस में ले जाता था। उसी में से एक घोड़ा जिसका नाम जिगरा था महेश उस घोड़े से अधिक प्यार करता था वह उस घोड़े  का देखभाल खुद करता था। जिगरा ने महेश को बहुत सारी रेस जिताया था जिस कारण से महेश जिगरा को बहुत पसंद करता था कुछ दिनों बाद जिगरा को अपने आप में घमंड आ गया था एक दिन महेश जब जिगरा को रेस में लेकर गया और उस रेस में जिगरा  हार गया तभी महेश ने सोचा चलो कोई बात नहीं पहली बार हारा है महेश घोड़े  को लेकर घर आता है महेश को यह नहीं मालूम था कि उसका जिगरा जानबूझकर हार गया है और कुछ दिन बाद महेश जिगरा को रेस  के लिए लेकर जाता है। 


 और जिगरा जानबूझकर फिर से हार जाता है महेश को कुछ समझ में नहीं आ रहा था आखिरकार मेरा जिगरा बार-बार कैसे हार जा रहा है जबकि महेश को यह नहीं पता था कि उसका जिगरा आलसी हो गया है और उसके अंदर घमंड आ गया है जिगरा चाहता था कि उसका मालिक उसकी सेवा करें और उसे अच्छे से खिलाए और वह रेस  में दौरना भी नहीं चाहता था एक दिन महेश कुछ सोचते हुए रास्ते में जा रहा था तभी एक व्यक्ति से टकरा जाता है जिस व्यक्ति से महेश टकराता  है उसका नाम रोहन था और वह  एक गरीब व्यक्ति था महेश ने रोहन से माफी मांगी तभी रोहन ने बोला कोई बात नहीं साहब आपने अनजाने में टकरा गए हो माफ़ी मत मांगिए तभी महेश को बोलता साहब आप इतना परेशान क्यों दिख रहे हैं महेश बोलता है ऐसी कोई बात नहीं है बस थोड़ा सा परेशानी है रोहन पूछता है आप बताइए तो शायद मैं आपकी कुछ मदद कर सकूं।


 महेश बोलता है मेरा एक घोड़ा है जिसका नाम जिगरा है वह हमेशा रेस में जीता करता था लेकिन वह 2 बार लगातार हार गया है जिस कारण से मैं परेशान हूं रोहन बोलता है अब आप  परेशान नहीं होये,  क्योंकि मेरे पास एक घोड़ा है जिसका नाम तूफान है मैं उसे बेचना चाहता हूं क्योंकि मुझे पैसों की जरूरत है मैं चाहता हूं कि आप मेरा घोड़ा खरीद लीजिए जिससे दोनों को मुसीबत दूर हो जाएगी महेश कुछ देर सोचता है और फिर वह घोड़ा खरीदने को तैयार हो जाता है महेश रोहन के साथ


उसके घर जाता है और वहां से घोड़ा खरीद कर अपने घर आता है लेकिन महेश तूफान को एक अलग जगह रखा था तूफान की देखभाल महेश के कर्मचारी करते थे जबकि जिगरा का देखभाल महेश करता था जिसके कारण से जिगरा को अपने आप पर बहुत घमंड हो गया था। एक दिन जिगरा और तूफान आपस में बातचीत कर रहे थे जिगरा बोल रहा था देखो मालिक मुझे खुद देखभाल करते हैं। 

 जबकि तुम्हारी देखभाल उसके कर्मचारी करते हैं जिगरा बोलता है मैं कुछ नहीं करता हूं आराम की जिंदगी जीता हूं। और  मालिक मुझे ही सिर्फ देखभाल करते हैं किस्मत हो तो मेरी जैसी फिर तूफान बोलता है जिगरा भाई इतना घमंड नहीं करना चाहिए तुम तो मालिक को धोखा दे रहे हो तुम बहुत आलसी हो गए हो और कुछ देर बाद महेश के कर्मचारी आते हैं और तूफान को उसके जगह ले जाते हैं और कुछ दिन के बाद महेश रेस के लिए अपने घोड़े को तैयार करने लगा लेकिन महेश को तूफान पर विश्वास नहीं हो रहा था उसने फिर से अपने  जिगरा को रेस  के लिए लेकर गया और इस बार जिगरा


फिर हार गया महेश को इस बार बहुत गुस्सा आया उसने सोचा मैं इस घोड़े की कितनी देखभाल करता हूं लेकिन अब तो यह किसी काम का नहीं है महेश निराश होकर अपने घर आया और अपने जिगरा को अपने कर्मचारी को सौंप दिया और फिर से जिगरा और तूफान आपस में मिले तो तूफान ने पूछा आज तुम रेस जीते या नहीं जिगरा बोलता है  मुझे तो सिर्फ आराम की जिंदगी जीना है कौन रेस में दौड़ता है मैं तो जानबूझकर हार जाता हूं तूफान बोलता है जिगरा भाई मालिक तुम्हारी कितनी देखभाल करते हैं और तुम उसे धोखा दे रहे हो कुछ देर बाद महेश आता है और जिगरा को अपने पास साथ लेकर चला जाता है अब महेश सोचने लगा अब हमें जिगरा से कोई उम्मीद नहीं रखनी चाहिए हमें तूफान को एक मौका देना चाहिए कुछ दिन के बाद महेश रेस के लिए तूफान को लेकर गया और जब रेस हुआ तो तूफान जीत गया महेश बहुत खुश हो गया। 


 और वह खुशी-खुशी अपने घर आया तो जिगरा तूफान से पूछता है क्या हुआ रेस कौन जीता तूफान बोलता है मैं जीत गया हूं। महेश बहुत खुश हो जाता है और वह तूफान को अपने पास रखता है और उसकी देखभाल खुद करता है और जिगरा को अपने कर्मचारी को सौंप दिया और बोला अब यह हमारे किसी काम का नहीं है इसे तुम संभालो यह सुनकर जिगरा को बहुत खराब लगा और उसका घमंड भी चकनाचूर हो गया। 




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